आलोट एम.इज्जी।, रतलाम जिले का एक प्रमुख स्थान, जहां विट्ठल भगवान का भव्य मंदिर स्थित है, यहां के लोग न केवल अपनी भक्ति में समर्पित हैं, बल्कि एक विशेष व्यक्ति की बांसुरी की मधुर धुन भी यहां के हर सुबह को खास बनाती है। यह व्यक्ति हैं 92 वर्षीय बाबूलाल शंकर लाल खरे, जो हर रोज मंदिर के द्वार पर अपनी बांसुरी से भगवान के भक्ति भजन और राष्ट्रीय गीत की धुनें सुनाते हैं।
बाबूलाल जी की यह भक्ति और समर्पण न केवल इस मंदिर की धार्मिक महत्ता को बढ़ाता है, बल्कि उनके सेहत के राज को भी उजागर करता है। वे इस बांसुरी वादन को निस्वार्थ भाव से करते हैं, और उनके बारे में जानने पर यह स्पष्ट होता है कि उनकी लंबी उम्र और सेहत का राज उनके नियमित भक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण में छिपा है।
बाबूलाल जी के बड़े बेटे की उम्र 75 वर्ष है, और उनके परिवार में दो पुत्रियां और तीन पुत्र हैं, जो अब नाना-नानी और दादा-दादी बन चुके हैं। उनका बचपन से पहलवानी और अखाड़ा खेलने का शौक था, और आज भी आलोट में उनके शागिर्द इन खेलों में हिस्सा लेते हैं।
यह जीवन की कला केवल एक व्यक्ति के भक्ति से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन जीने का तरीका, शारीरिक और मानसिक सेहत का महत्व, और परिवार की अहमियत भी सिखाती है। बाबूलाल जी की जीवंत भक्ति और उनके जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि संतुलित जीवनशैली और मानसिक शांति से उम्र बढ़ाई जा सकती है।

